Madhu varma

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लेखनी कविता - मौत ने कहा - कुंवर नारायण

मौत ने कहा / कुंवर नारायण


फ़ोन की घण्टी बजी
मैंने कहा — मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया।

दरवाज़े की घण्टी बजी
मैंने कहा — मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया।

अलार्म की घण्टी बजी
मैंने कहा — मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया।

एक दिन
मौत की घण्टी बजी...
हड़बड़ा कर उठ बैठा —
मैं हूँ... मैं हूँ... मैं हूँ..

मौत ने कहा —
करवट बदल कर सो जाओ।

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